मेरा प्रिय खेल
सभी को कोइ–न- कोइ खेल पसंद होता है। मैं
भी खेल–कूद का बहुत शौकीन हू। गुल्ली – डंडा , कबड्डी ,टेनिस और बैड्मिंटन खेलने
में मुझे बहुत मजा आता है। फुटबाल और हाकी भी मुझे पसंद है । पर मेरा सबसे प्रिय
खेल तो क्रिकेट है। केवल मैं ही नहीं, सारी दुनिया खेलों के राजा क्रिकेट की
दीवानी है ।
मेरे जीवन में क्रिकेट का विशेष स्थान हैं।
क्रिकेट से मेरा गहरा रिश्ता है । मैं रोज शाम को अपने मित्रों के साथ मैदान में
क्रिकेट खेलने जाता हू । कैकेट के प्रति मेरी एसी लगन देखकर मेरे पिताजी ने मुझे
एक मशहूर कंपनी का बल्ला खरीद कर दिया है । मुझे अपने चाचाजी से क्रिकेट की अच्छी
तालीम मिली है। वे क्रिकेट के मशहूर खिलाडी है । चाचाजी के कारण ही क्रिकेट में
मेरी रूचि बढी है । क्रिकेट से संबंधित कइ पुस्तकें मेरे पास हैं । मैं क्रिकेट के
सभी नियमों और पहलुओं से परिचित हो गया हूं । क्रिकेट के लगभग सभी जानेमाने
खिलाडिंयो के चित्र मेरे अलबम में हैं ।
मैंने अपने मुहल्ले में क्रिकेट की अक
टीम बनाई है । कभी कभी हम अन्य टीमों के साथ अक दिवसीय मैच खेलते हैं । उनमें अकसर
हमारी ही टीम विजेता बनती है । स्कूल की क्रिकेट टीम का मैं ‘ आल राउडंर ‘ खिलाडी
हू ।
इस खेल से मेरे पूरे शरीर की अच्छी
कसरत मिल जाती है । मेरा शरीर फुर्तीला बना रहता है । क्रिकेट के कारण ही मुझमें
अनुशासन तथा सहयोग आदि भावनाओ का विकास हुआ है ।
मैं बडा होकर क्रिकेट की दुनिया का
एक तेजस्वी सितारा बनना चाहता हूं । मेरा
हमेशा यह प्रयास होगा कि क्रिकेट के खेल में हमारे देश का स्थान प्रथम रह्वे ।
क्रिकेट के खिलाडियों को नाम और दाम
(पैसा) दोनों खूब मिलते हैं ।जिस खेल में नाम और दाम दोनो कमाने का अवसर हो, वह खेल
भला किसे प्रिय न हो !
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