कविवर सर्वेश्वर दयाल
सक्सेना
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना छायोवादोत्तर नयी दूसरी पीढी के महत्वपूर्ण
कवि है। श्री सर्वेश्वर दतयाल का जन्म 15 सितम्बर 1927 में उत्तरप्रदेश की बस्ती
में हुआ था। उनकी शिक्षा एग्लो संस्कृत हाइस्कूल बस्ती; क्वीन्स कालेज,वाराणसी एवं प्रयाग विश्वविधालय में हुइ
थी।
आजीविका के लिए अध्यापक,क्लर्क,आकाशवाणी के सहायक प्रोडयुसर,’दिनमान’ के
उपसंपादक और ‘पराग’ के सम्पादक भी रहे थे। सक्सेनाजी ने साहित्यिक जीवन का आरंभ
कविता से किया है। वे ‘प्रतीक’ और अन्य पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहे। इसके
अतिरिक्त कला,साहित्य,संस्कृति और राजनितिक गतिविधियों में सक्रिय हिस्सेदारी लेते
रहे। अनेक भाषाओं में उनकी रचनाओं का
अनुवाद भी होता रहा।‘तीसरा सप्तक में संकलित हो एवं अज्ञेय जैसे समर्थ
साहित्यकार का सहयोग मिलने से उन्हे जल्दी प्रसिध्धि प्राप्त हुइँ। उन्होने कविता
के अतिरिक्त उपन्यास,कहानियाँ, नाटक, यात्रावृत एवं बाल-काव्य भी लिखे है। 1972
में ‘सोवियेत लेखक संघ’ के निमंत्रण पर
पुश्किन काव्य समारोह में सम्मिलित भी हुए थे। आपका आकस्मिक निधन दिल का दौरा पडने
से दिल्ली में 24 दिसम्बर, 1983 को हुआ था।
कृतित्व
(क) काव्य- कृतियाँ
1. काढ की घंटियाँ
2. बाँस का फूल
3. एक सूनी नाव
4. कुआनो नदी
5. गर्म हवाएँ
6. कविताएँ-1
7. कविताएँ-2
8. जंगल का दर्द
9. खूटिंयों पर टँगे लोग
10. कोइ मेरे साथ चले
(ख) उपन्यास
1.उडे
हुए रंग
(ग) कहानी-संग्रह
1.अंधारे
पर अंधारा
2.
कुत्तो का मसीहा
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